
Manoj Ka Mood
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About Manoj Ka Mood
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साल 2018 में तेज प्रताप यादव की शादी ऐश्वर्या से हुई थी। ऐश्वर्या बिहार के पूर्व सीएम दारोगा प्रसाद यादव की पोती और पूर्व मंत्री चंद्रिका प्रसाद की बेटी हैं। 2019 में संबंध खराब हुए। मारपीट से लेकर तमाम तरह के आरोप लगे। राबड़ी देवी के घर से ऐश्वर्या रोती निकली। तस्वीर वायरल हुई। अभी केस कोर्ट में चल रहा है । अब तेज प्रताप यादव के फेसबुक अकाउंट से एक पोस्ट हुआ। अनुष्का नाम की लड़की के साथ तेजप्रताप की तस्वीर दिखी। लिखा गया 12 साल से रिश्ता में हैं। खबर वायरल हुई तो तेजनप्रताप ने पोस्ट डिलीट किया, दोबारा किया। लोगों ने खोजबीन शुरू की तो अनुष्का के बारे में जानकारी सामने आई। राजद के एक पूर्व नेता की बहन बताई गई। पूर्व नेता कभी तेजप्रताप के बेहद करीबी थे। लेकिन रात को ट्विटर पर तेजप्रताप ने पोस्ट को फेक बताया। Ai से निर्मित अपनी तस्वीर होने का दावा किया। हालांकि तेज प्रताप ने ये नहीं कहा कि अनुष्का को वो नहीं जानते या अनुष्का से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने पोस्ट को फंसाने की साजिश कहा। वैसे तो ये निहायत ही पारिवारिक मामला है लेकिन चीज़ें पब्लिक डोमेन में आई है तो उसकी जांच पड़ताल होगी। अब जब तेजप्रताप ने अकाउंट हैक होने की बात कही है तो साइबर सेल इसकी जांच करेगा। मामला पुलिस और केस मुकदमे तक जा सकता है। वैसे प्रथम दृष्टया ये लगता नहीं। तेज प्रताप का दावा गलत लगता है। कई बड़े यूट्यूब चैनल ने तेज प्रताप और अनुष्का की कथित सिंदूर वाली तस्वीरें वायरल की है। दावा है कि दोनों की शादी हो चुकी है। सच्चाई क्या है ये तो नहीं पता, लेकिन हो सकता है तेज प्रताप का सोशल मीडिया हैंडल करने वाली टीम की तरफ से तस्वीर लीक की गई हो ? हो सकता है पार्टी की अंदरूनी राजनीति का शिकार हुए हो ? तेज प्रताप का अनुष्का से क्या रिश्ता है, है भी या नहीं ये तो अब अनुष्का ही सही से बता सकती है या अनुष्का का परिवार पर्दा उठा सकता है। लेकिन जिस तरह से ऐश्वर्या का मामला कोर्ट में है और अनुष्का की खबर फूटी है वो बिहार की राजनीति में राजद परिवार की सिरदर्दी बढ़ाएगा। अगर वाकई ये शादी की खबर सही है तो फिर राजनीति और कानूनी रूप से लालू परिवार को नई परेशानी में डालेगा। एक तो अनुष्का की शादी को कानूनी मान्यता दिलानी होगी, दूसरे ऐश्वर्या को डिमांड के हिसाब से गुजारा देना होगा। राजनीति के अखाड़े में लालू परिवार की छवि उछाली जाएगी सो अलग। फिलहाल इस खबर ने लालू विरोधियों को मौका दिया है। सवाल उठाने का।

तेज प्रताप यादव को पिता लालू यादव ने तब क्यों नहीं निकाला जब ऐश्वर्या ने उनपर आरोप लगाए ? तेज प्रताप को तब क्यों नहीं निकाला जब उन्होंने पार्टी के खिलाफ बगावत की और पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ प्रचार किया ? तेज प्रताप को तब क्यों नहीं निकाला जब उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेताओं के खिलाफ बयान दिया ? जगदानंद सिंह और रघुवंश सिंह जैसे संस्थापक पार्टी नेताओं के खिलाफ बयानबाजी के वक्त लालू यादव ने चुप्पी क्यों साधी ? ये वो मुद्दे हैं जो सामाजिक, राजनीतिक, चुनावी और पारिवारिक सब हैं। लेकिन तब लालू यादव ने तेज प्रताप को अभयदान दिया। क्योंकि तब पार्टी में वो सर्व शक्तिमान थे। अब वो बात नहीं है। अब वो कोई फैसला अकेले नहीं ले सकते। अब उनपर परिवार के बाकी सदस्यों का भी दबाव जरूर होगा। इस बार तेज प्रताप ने क्या किया ? एक लड़की की तस्वीर उनके सोशल मीडिया अकाउंट से पोस्ट हुई। तेज प्रताप ने सफाई दी कि फोटो सही नहीं है। अकाउंट हैक हुआ है। लेकिन इसके तुरंत बाद अनुष्का और तेज प्रताप की कथित तस्वीरों की बाढ़ सी आ गई। क्या वाकई में अनुष्का और तेजप्रताप की शादी हो चुकी है ? अगर नहीं तो फिर तेजप्रताप ने गलत क्या किया ? ये तो न लालू यादव ने ट्वीट में बताया न, तेजस्वी ने बयान में और नहीं रोहिणी ने अपने पोस्ट में। क्या लालू परिवार को नहीं मालूम था कि तेजप्रताप और अनुष्का में कुछ है ? अगर पता था तो फिर अब तक इंतजार क्यों किया ? क्या कुछ ऐसा है जिससे लालू परिवार बचना चाहता है ? सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरें कह रही है कि तेज प्रताप और अनुष्का एक दूसरे के करीब हैं। शादी हुई है। अब सवाल ये कि क्या परिवार की राजनीति का शिकार हुए हैं तेज प्रताप ? क्या सियासत और संपत्ति के लिए तेज प्रताप को परिवार और पार्टी से निकाला गया है। तेजप्रताप लालू यादव के बड़े बेटे हैं। लालू की राजनीति के स्वाभाविक उत्तराधिकारी। लेकिन शुरू से उनमें वो गुण नहीं थे कि लालू उन्हें उत्तराधिकारी बना पाते। रही सही कसर ऐश्वर्या विवाद ने पूरी की। लालू की बड़ी सियासी विरासत है लिहाजा तेजस्वी को उत्तराधिकारी चुना गया। तेजस्वी यादव ने दूसरे धर्म में जाकर शादी की है। उनकी पत्नी न बिहार की हैं और न ही उनकी जाति, धर्म की। विवाह उन्होंने भी प्रेम करके ही किया है। लेकिन लालू परिवार ने उनको सहर्ष स्वीकार किया । तेजस्वी की पत्नी की राजनीति में रुचि नहीं दिखती, होती भी तो उनको वो स्वीकार्यता पार्टी परिवार में शायद नहीं मिलेगी जो राबड़ी देवी को मिली थी। लेकिन क्या ऐसा अनुष्का के साथ संभव है ? अनुष्का एक तो यादव परिवार की हैं दूसरा वो शायद ऐश्वर्या की तरह नहीं हैं। अनुष्का और तेज के रिश्ते को मंजूरी मिलती है तो फिर सियासी विवाद परिवार में हो सकता है। लालू यादव ने एक तीर से दो शिकार किया। लेकिन शायद कलेजे पर पत्थर रखकर। बड़ा बेटा कितना भी बुरा हो बड़ा ही रहता है। भारतीय पिता का एक अलग लगाव रहता है। राजनीतिक मजबूरियों की वजह से इतिहास में बड़े बेटे के साथ कई जगह अन्याय होता रहा है। तेज प्रताप को पार्टी और परिवार से निकाल कर लालू यादव ने तेज प्रताप और अनुष्का के रिश्ते को सहमति दे दी है। (लेकिन शर्तों के साथ) परिवार से निकाल कर ऐश्वर्या वाले केस में मोटा रकम देने से बचने की कोशिश हो सकती है, धोखाधड़ी के आरोप से भी लालू खुद को और परिवार के बाकी सदस्यों को बचा रहे हों। एक बात और सूत्र कहते हैं कि लालू परिवार की राजनीति में एक खेमा तेजस्वी का माना जाता है दूसरा मीसा भारती का। तेज प्रताप मीसा के साथ और रोहिणी तेजस्वी के साथ हैं। क्रमशः

जहां हारे मोदी...वहां रैली के मायने क्या हैं ? लोकसभा चुनाव के वक्त पिछले साल पीएम ने जिस काराकाट लोकसभा में जाकर उपेंद्र कुशवाहा के लिए प्रचार किया उसी काराकाट के विक्रमगंज में आज रैली कर रहे हैं। काराकाट लोकसभा में मोदी के प्रचार का असर नहीं हुआ था और nda का उम्मीदवार तीसरे नंबर पर चला गया। उपेंद्र कुशवाहा की हार हुई और तमाम तरह के भीतरघात के आरोप लगे। ये इलाका सामाजिक तौर पर कोइरी और राजपूत बहुल है। लोकसभा चुनाव में इस पूरे इलाके में बीजेपी गठबंधन की हार हुई। और इस हार की स्क्रिप्ट विधानसभा के वक्त लिखी जा चुकी थी। बावजूद इसके बीजेपी नहीं संभली और उसका प्रयोग फेल रहा। ये पूरा भोजपुर और मगध का आधा हिस्सा बीजेपी गठबंधन हार गया। सासाराम लोकसभा में बीजेपी ने उम्मीदवार बदला हार मिली। बक्सर में उम्मीदवार बदला हार मिली। काराकाट में समर्थक की भावना के खिलाफ उम्मीदवार दिया हार मिली। जमी जमाई आरा, औरंगाबाद, जहानाबाद और पाटलिपुत्र में भी nda को हार का मुंह देखना पड़ा। जबकि 2019 में सभी सीट nda ने जीती थी। 2024 में उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी के साथ होने के बाद भी nda को हार मिली जबकि इन दोनों का सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव ही इस इलाके में है। विधानसभा में काराकाट लोकसभा की सभी सीट nda हार गई थी। सासाराम लोकसभा के बड़े हिस्से में nda को नुकसान हुआ था। तब माना गया कि ये नुकसान चिराग पासवान की वजह से हुआ। लेकिन लोकसभा में सब साथ थे फिर में रणनीतिक भूल ने हरा दिया। अब आज पीएम पहुंचे हैं। उस हार को जीत में बदलने की कोशिश होगी। ये इलाका बीजेपी के सामाजिक समीकरण के हिसाब से फिट माना जाता रहा है। ऐसे में पीएम उस समीकरण को साधने की कोशिश करने वाले हैं। लेकिन ये आसान होगा ये दिखता नहीं। मौजूदा वक्त में रणनीतिक रूप से यह महागठबंधन को बड़ी बढ़त हासिल है। जब तक सामाजिक रूप से nda का कुनबा इसमें सेंध नहीं लगाता तब तक उसके लिए मुश्किल है। इस बार चुनौती प्रशांत किशोर भी है। पीके इसी इलाके से आते हैं। प्रशांत किशोर ने अति पिछड़ी जातियों के साथ ब्राह्मणों के वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी की है। ये दोनों टूटे तो नुकसान बीजेपी गठबंधन को ही होगा। जिस इलाके में पीएम रैली करने जा रहे हैं वो इलाका औद्योगिक रूप से बिहार का संपन्न रहा है। यूपी, झारखंड की सीमा पास में है। खनिज संपदा, बालू के लिए संपन्न है। कोलकाता की तरफ जाने वाले तमाम रास्ते इधर से ही जाते हैं। पर्यटन के लिहाज से भी ये इलाका बेहद संपन्न है। कोशिश इन इलाकों को संवारने की हो और उसकी मार्केटिंग होती है तो बहुत चीजें हो सकती है।