
कृषि जागृति-Krishi Jagriti
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About कृषि जागृति-Krishi Jagriti
किसान भाइयों, आइए हम सब मिलकर कृषि जागृति के लिए चले गांव की ओर। कृषि जागृति-Krishi Jagriti का मुख्य उद्देश्य केवल जनोपयोग व जीवन सुधार हेतु स्वास्थ्य सामग्री, कृषि लेख, सरकारी योजनाएं, कृषि तकनीक, व्यवसायिक एवं जैविक खेती संबंधित जानकारियों का प्रसारण करना हैं। 👇 Whatsapp=https://wa.me/918507782401
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एक किलो गेहूं का 100 किलो बनाने वाला किसान कर्जदार है और एक किलो गेहूं को 900 ग्राम दलिया बनाने वाला व्यापारी मालामाल है अपनी फसल को खुद बचना सीखो किसान भाइयों! जागरूक रहिए व नुकसान से बचिए और अन्य लोगों के जागरूकता के लिए साझा करें।

केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट यानि ई-नाम के तहत व्यापार का दायरा बढ़ाने का निर्णय लिया है। अब इस प्लेटफार्म पर 10 नए कृषि उत्पादों को कारोबार की अनुमति दी गई है, जिससे ई-नाम पर व्यापार के लिए उपलब्ध उत्पादों की संख्या 231 हो गई है। 👇 https://www.krishijagriti5.com/scope-of-trade-increased-on-e-naam-10-new-agricultural-products-added/ जागरूक रहिए व नुकसान से बचिए और अन्य लोगों के जागरूकता के लिए साझा करें।

जैनेटिक सीड्स आधारित खेती में किसान को बहुत अधिक रकम की जरूरत पड़ती है। सही व्यवस्था नहीं हो पाने पर किसान और कर्ज की दिशा में बढ़ता जाता है। एक ओर फसल पर मौसम की मार और दूसरी और किसान का कर्ज। ऐसे में किसानों की करम ही टूट जाती है और किसान हमेशा कर्जदार बना रहता है। ऐसे किसान मानसिक पीड़ा के चलते अपने जीवन के साथ बुरा निर्णय भी ले सकता हैं। जागरूक रहिए व नुकसान से बचिए और अन्य लोगों के जागरूकता के लिए साझा करें।

कोशिश और संघर्ष का फल, कहानी एक किसान की जो बहुत दुखी हो गया! एक बार एक किसान ईश्वर से बड़ा नाराज हो गया। क्योंकि कभी बाढ़ आ जाए, कभी सुखा पढ़ जाए, कभी धूप बहुत तेज हो जाए तो कभी ओले पड़ जाए। हर बार कुछ न कुछ कारण से उसकी फसल खराब हो जाए। एक दिन तंग आकर उसने ईश्वर से कहां की है प्रभु वैसे तो आप अन्तरयामी है लेकिन आपको खेती बड़ी की कोई जानकारी नहीं है। आपसे एक प्राथना है कि एक साल अपने कार्यभार का मौका दीजिए, मैं जैसा चाहूंगा वैसा मौसम होगा, फिर आप देखना, मैं कैसे अन्न का भण्डार भर दूंगा। ईश्वर मुस्कराए और बोले ठीक है, जैसा तुम कहोगे वैसा मौसम दूंगा और उसमें कोई दखल नहीं करूंगा। फिर किसान ने गेहूं की फसल बोई , जब उसने चाहा धूप खिली, जब पानी चाहा पानी मिला, लेकिन तेज धूप, ओले, आंधी, बाढ़ तो किसान ने आने ही नहीं दी। फिर समय के साथ फसल भी बढ़ी ओर किसान की खुशी भी, क्योंकि ऐसी फसल तो कभी नहीं हुई थी। किसान ने मन ही मन सोचा, अब भगवान को पता चलेगा कि फसल कैसे पैदा करते हैं, वह बेकार ही हम किसानों को परेशान करते हैं। कुछ समय बाद फसल काटने का समय भी आया, किसान बड़े गर्व से फसल काटने गया, लेकिन जैसे ही फसल काटने लगा, एकदम से छाती पर हाथ रख कर बैठ गया। फसल तो बहुत अच्छी हुई थी, लेकिन गेहूं की बाली के अंदर दाने नहीं थे, सारी गेहूं की बाली अंदर से खाली थी। बड़ा दुःखी होकर उसने परमात्मा से कहां हे प्रभु ये क्या हुआ। तब परमात्मा बोले, ये तो होना ही था, क्योंकि तुमने पौधों को जरा भी संघर्ष का मौका नहीं दिया। ना तेज धूप में उनको तपने दिया, ना ओले, आंधियों से जूझने दिया, उनको किसी भी तरह की चुनौतियों का जरा भी एहसास नहीं होने दिया, इसलिए सब पौधे खोखले रह गए। जब आंधी आती हैं, बारिश होती है या ओले गिरते है तब पौधा अपने बल पर ही खड़ा रहता है। वो अपना अस्तित्व बचाने के लिए कोशिश और संघर्ष करता है और इस कोशिश और संघर्ष से जो बल पैदा होता है वो ही उसे शक्ति देता है, सोने को भी कुंदन बनाने के लिए आग में तपने, हथौड़ी से पीटने और गलने जैसी चुनौतियों से गुजरना पड़ता है। तपने, गलने ओर हथौड़ी से पीटने के बाद ही उसकी स्वर्णिम आशा उभरती है जो उसे अनमोल बनाती हैं। परमात्मा का जवाब सुनकर किसान को अपनी भूल का एहसास हुआ और वह मेहनत में जुट गया। जागरूक रहिए व नुकसान से बचिए और अन्य लोगों के जागरूकता के लिए साझा करें।

सेब किसानों को 32 करोड़ रुपए का बीमा दावा भुगतान! उत्तराखंड सरकार ने राज्य के 4,960 सेब किसानों को साल 2023 से 24 के बीमा दावे का भुगतान कर दिया है। अब तक 32 करोड़ रुपए वितरित किए जा चुके हैं, जबकि शेष दावों की प्रक्रिया जारी है। कृषि मंत्री गणेश जोशी ने बताया कि उत्तरकाशी के सेब उत्पादक किसानों ने 3 फरवरी को मुलाकात कर बीमा कंपनी द्वारा दावे के भुगतान में देरी की शिकायत की थी। इस पर तत्काल करवाई करते हुए बीमा कंपनी को भुगतान के निर्देश दिए गए। उन्होंने यह भी कहां की दावे में अनावश्यक देरी को लेकर जांच के लिए एक समिति कर दी गई है। मंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार किसानों की समस्याओं को गंभीरता से ले रही है और उनका समाधान प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा। बैठक में शामिल किसानों ने राज्य सरकार की किसान हितैषी नीतियों की सराहना की। जागरूक रहिए व नुकसान से बचिए और अन्य लोगों के जागरूकता के लिए साझा करें।

सरसों की फसल में लगने वाले रोग बहुत नुकसान कर रहे तो अब परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि अब हमारे किसान भाई गैलवे कृषम के जैविक उत्पादों का इस्तेमाल करके सरसों की फसल में लगने वाले रोगों से बचा सकते हैं, तो आइए जानते हैं कैसे! जागरूक रहिए व नुकसान से बचिए और अन्य लोगों के जागरूकता के लिए साझा करें।

केंद्र सरकार ने फसल कटाई के बाद की सुविधाओं को बेहतर बनाने और किसानों को अधिक लाभ दिलाने के उद्देश्य से कृषि अवसंरचना कोष यानी एआईएफ के तहत अब तक 92 हजार से ज्यादा परियोजनाओं को मंजूरी देते हुए 58 हजार करोड़ रुपए के प्रस्तावों को स्वीकृति दी है। सूत्रों के अनुसार, अब तक कृषि मंत्रालय द्वारा स्वीकृत परियोजनाओं से 91,856 करोड़ रुपए का निवेश जुटाया जा चुका है। 👇 https://www.krishijagriti5.com/92-thousand-projects-approved-under-agriculture-infrastructure-fund-and-rs-58-thousand-crores-sanctioned/ जागरूक रहिए व नुकसान से बचिए और अन्य लोगों के जागरूकता के लिए साझा करें।

खाद वितरण में धांधली से किसानों ने उठाई आवाज तो प्रशासन हुई मौन! स्थानीय स्टेशन बाजार के क्रय-विक्रय केंद्र पर खाद वितरण के दौरान किसानों ने हंगामा किया। किसानों ने बताया कि एक अनाधिकृत व्यक्ति को बैठाकर खाद के निर्धारित मूल्य से अधिक पैसे लिए जा रहे हैं। बोरी पर 266 रुपए लिखा है, लेकिन किसानों से 275 रुपए लिए जा रहे हैं। कई क्रय-विक्रय केंद्रों पर किसानों से अधिक दाम पर खाद बेचने की शिकायतें आ रही हैं, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। एक ट्रैक्टर चालक पर शक होने पर किसानों ने उसे रोकने का प्रयास किया, लेकिन वह भागने लगा। किसानों ने केंद्र का गेट बंद कर दिया, जिससे ट्रैक्टर ट्रॉली गेट में फंस गई। कुछ देर बाद चालक ट्रैक्टर लेकर भाग गया। विक्रेता ने बताया कि एक बोरी खाद का मूल्य 266 रुपए है। लेकिन पल्लेदारी व अन्य खर्च के चलते 275 रुपए लिए जा रहे हैं। स्थानीय किसान खाद न मिलने से नाराज थे। उनका आरोप था कि खाद बिहार भेजी जा रही है, जिससे उन्हें खाद नहीं मिल पा रही है। एसडीएम ने कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है अगर ऐसा हो रहा है तो जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जागरूक रहिए व नुकसान से बचिए और अन्य लोगों के जागरूकता के लिए साझा करें।

ग्रामीण विकास के लिए काम करने वाली गैर लाभकारी संस्था रूट्स फाउंडेशन ने झारखंड के चतरा जिले में किसानों की आय बढ़ाने और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए कॉल इंडिया लिमिटेड के साथ साझेदारी की है। इस साझेदारी के तहत हरित समृद्धि परियोजना शुरू की गई है, जो कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों से लैस करने पर केंद्रित हैं। 👇 https://www.krishijagriti5.com/green-prosperity-project-launched-to-increase-farmers-income/ जागरूक रहिए व नुकसान से बचिए और अन्य लोगों के जागरूकता के लिए साझा करें।

खाद का संकट या मिलीभगत का खेल, खाद के लिए लग रही लंबी कतारें, फिर भी जवाब आउट ऑफ स्टॉक! बांका, बिहार: जिले में यूरिया खाद की भारी किल्लत के कारण किसान ऊंचे दामों पर इसे खरीदने को मजबूर हैं। गेहूं और मक्का की फसल के लिए यूरिया काफी जरूरी है, लेकिन इसका सरकारी मूल्य 266 रुपए होने के बावजूद किसान इसे 400 से 520 रुपए में खरीदने को मजबूर हैं। अमरपुर बाजार समेत कई इलाकों में खाद की कालाबाजारी जोरों पर चल रही हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे दुकानदारों के हौसले बुलंद हैं। स्थानीय दुकानदार ऊंचे दामों पर यूरिया की बिक्री को सही ठहरा रहे हैं और झारखंड से खाद आने का दावा कर रहे हैं, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि झारखंड से जिले में यूरिया कैसे पहुंच रहा है और इसकी जांच क्यों नहीं हो रही है? वहीं किसानों का कहना है कि वे कर्ज लेकर या धान बेचकर महंगा यूरिया खरीदने को मजबूर हैं। कई किसानों को चार बोरी की जगह दो बोरी ही दी जा रही है। खाद की इस किल्लत और कालाबाजारी के बीच प्रशासन की खामोशी ने किसानों की परेशानी और बढ़ा दी है। जागरूक रहिए व नुकसान से बचिए और अन्य लोगों के जागरूकता के लिए साझा करें।