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हाथ बदलेगा हालत कर विश्वास होगा अहंकार का नाश
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अलीगढ़ में गौआतंकियों को गुंडा टैक्स ना देने की वजह से बेरहमी से पीटे गये मुस्लिम व्यापारियों के मामलें में AIMIM , सपा, कांग्रेस कार्यकर्ताओं का SP के दफ़्तर में प्रदर्शन, 24 मई को 4 मुस्लिम व्यापारियों को गौरक्षा की आड़ में वसूली गैंग चलाने वाले गुंडों ने बेरहमी से पीटा था जिसके ख़िलाफ़ आज विपक्षी दलों के नेता कार्यकर्ता एसपी दफ़्तर पहुंचे और प्रदर्शन किया!

रगों में सिंदूर बहे या व्यापार, मुझे कोई फड़क नई पड़ता। लेकिन, भारत की आर्थिक बदहाली से फड़क पड़ता है। इकोनॉमिक टाइम्स ने आज छापा है कि 96% विदेशी निवेशक अपना बोरिया–बिस्तर लपेटकर निकल चुके हैं। भारत के बाजार में विदेशी निवेश सिर्फ 353 मिलियन रह गया है। कोई नहीं जानता कि ये पैसा भी कब तक रहेगा। कभी विदेशी निवेश जीडीपी का 2.5% हुआ करता था। अब 1% से भी कम है। सिंदूर की ही बात करें तो कल मुकेश अंबानी ने जर्मनी की Rheinmetall AG के साथ गोला–बारूद का समझौता किया है। राजनाथ के रक्षा मंत्रालय ने इस कंपनी को भ्रष्टाचार के लिए बैन किया हुआ है। यानी ये देशद्रोही कंपनी है। लेकिन अंबानी तो कानून से ऊपर है। देशद्रोह का आरोप उस पर लग ही नहीं सकता, जब तक बापजी कुर्सी पर है। फिर भारत में पैसा किसने लगाना?

मिलिये इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार जीतने वाली पहली कन्नड़ लेखिका बानू मुश्ताक़ से! भारत के साहित्य जगत के लिए एक गर्व का पल तब आया जब बानू मुश्ताक़ को उनके लघु कथा संग्रह 'हार्ट लैंप' के लिए इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। ये पुरस्कार किसी कन्नड़ भाषा में लिखी किताब को पहली बार मिला है। बानू का जन्म कर्नाटक के एक छोटे से कस्बे में हुआ था। एक मुस्लिम परिवार में पली-बढ़ी बानू ने कठिन हालात में भी हार नहीं मानी। बचपन में उर्दू में कुरान पढ़ीं, लेकिन उनके पिता ने उन्हें कन्नड़ माध्यम के स्कूल में दाख़िला दिलाया। यहीं से शुरू हुआ उनका साहित्यिक सफर। 'हार्ट लैंप' में उन्होंने दक्षिण भारत की मुस्लिम महिलाओं के संघर्षों और समाज की पितृसत्तात्मक सोच के बीच उनके जीवन की सच्चाइयों को संवेदनशीलता से बयान किया है। इन कहानियों का अंग्रेज़ी अनुवाद दीपा भास्ती ने किया है। बानू खुद भी कई संघर्षों से गुज़रीं। शादी के बाद का जीवन आसान नहीं था। घरेलू जिम्मेदारियों, मानसिक तनाव और समाज के दबावों के बीच उन्होंने लेखन को अपना हथियार बनाया। उनकी कहानियों में महिलाएं न सिर्फ़ सहती हैं, बल्कि चुपचाप विद्रोह भी करती हैं, और यही उनकी सबसे बड़ी ताक़त है। बानू पत्रकार रहीं, वकील बनीं, और 'बांदाया आंदोलन' से जुड़कर सामाजिक न्याय की आवाज़ बनीं। उनके विचारों ने उन्हें धमकियों और विरोध का सामना भी कराया, लेकिन वे कभी नहीं डरीं। आज जब बानू मुश्ताक़ को ये अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिला है, तो यह सिर्फ़ एक लेखिका की जीत नहीं है बल्कि यह भारत की क्षेत्रीय भाषाओं, महिलाओं की आवाज़ और हाशिए पर जी रहे समुदायों के संघर्षों की भी जीत है। #BanuMushtaq #HeartLamp #InternationalBookerPrize #WomenWriters #KannadaLiterature #IndianLiterature #PrideOfIndia [Banu Mushtaq | Heart Lamp | International Booker Prize | Women Writers | Kannada Literature | Indian Literature | Pride Of India]

*दिल्ली में बीजेपी को सत्ता संभाले 4 महीने हो चुके हैं। चुनाव से पहले बीजेपी ने आम आदमी पार्टी पर धड़ाधड़ 20 बड़े घोटालों के आरोप लगाए थे।* 👇 1. शराब घोटाला 2. शिक्षा घोटाला 3. दिल्ली जल बोर्ड घोटाला 4. बस खरीद घोटाला 5. बिजली सब्सिडी घोटाला 6. मोहल्ला क्लिनिक घोटाला 7. मुख्यमंत्री आवास घोटाला (शीश महल) 8. विज्ञापन घोटाला 9. रैन बसेरा घोटाला 10. निगम चुनाव फंडिंग घोटाला 11. ऑक्सीजन सिलेंडर सप्लाई घोटाला 12. कोविड राहत फंड घोटाला 13. राशन वितरण घोटाला 14. स्कूल निर्माण घोटाला 15. ट्रांसपोर्ट टेंडर घोटाला 16. CCTV कैमरा घोटाला 17. कर्मचारियों की भर्ती में अनियमितता 18. दिल्ली सरकार की जमीनों का गलत आवंटन 19. मंत्री द्वारा हवाला लेन-देन का आरोप 20. क्लासरूम घोटाला *लेकिन जैसे ही चुनाव खत्म हुए और बीजेपी ने दिल्ली में सत्ता हासिल कर ली — सारे घोटाले एक झटके में हवा हो गए।* 🔸 न कोई जांच 🔸 न कोई गिरफ्तारी 🔸 न कोई चार्जशीट 🔸 न अब मीडिया में कोई हेडलाइन 🔸 और न ही कोई बीजेपी नेता अब इनका नाम तक लेता है *तो फिर सवाल उठता है — ये सारे घोटाले सच थे या बीजेपी के चुनावी झूठ का स्क्रिप्टेड ड्रामा❓* *ये आरोप नहीं, साजिशन फैलाया गया ज़हर था — जनता को भ्रमित करने का हथियार।*💯✅ 👉 चुनाव से पहले झूठे आरोप लगाकर AAP की छवि बिगाड़ो, 👉 AAP नेताओं को खरीदो, 👉 ईडी सीबीआई लगाओ, 👉 AAP नेताओं को फर्जी केस में जेल भेजो, 👉 मीडिया से झूठ फैलाओ, 👉 पैसे बांटो, गुंडे भेजो, 👉 जनता को गुमराह करो, 👉 और जब सत्ता मिल जाए — तो चुपचाप मलाई चाटो। *यही है बीजेपी की चुनावी रणनीति:* > "जिसके खिलाफ चुनाव लड़ो, उस पर झूठ के कीचड़ फेंको, चुनाव जीतते ही सब भूल जाओ, सत्ता की कुर्सी पर बैठकर तमाशा देखो।" लेकिन इस बार जनता सब देख रही है। अब सवाल पूछेगी — सबूत दो या माफी मांगो। देश अब बहकावे में नहीं आएगा। *“अब खेल खत्म, अब हिसाब दो।”* *जो भी भाजपा के झूठ का पर्दाफाश करना चाहता है, वह इसे 5 ग्रुप में जरूर शेयर करे ‼️* #BJPExposed

✔️ *कॉर्पोरेट चोरों का लोकतांत्रिक महाभोज* भारत एक लोकतंत्र है—कम से कम संविधान में तो यही लिखा है। लेकिन ज़मीन पर यह लोकतंत्र अब एक कॉर्पोरेट जागीर बन चुका है, जहाँ जनता की संपत्ति पर दो तरह के लोग शासन करते हैं—एक रिफाइंड सूट में, और दूसरा धूल से सने खनन खदानों में। इन दो प्रतीकों के नाम हैं: मुकेश अंबानी और बेल्लारी बंधु। *1)* लूट का सूट-बूट संस्करण: मुकेश अंबानी कहने को यह ‘उद्यमी’ हैं, लेकिन असल में यह सिस्टम के सेंधमार हैं। सरकार ने जब New Exploration Licensing Policy (NELP) लागू की, तब अंबानी को पेट्रोलियम मंत्रालय की दीवारों के पीछे घुसने का रास्ता मिल गया। ONGC जैसी सार्वजनिक कंपनियों की खोजी गई गैस को "माइग्रेटेड" बता कर अपनी जेब में डाला गया। Production Sharing Contract ने उन्हें यह सुविधा दी कि वे जो चाहें, उतनी लागत दिखा सकें। 100 करोड़ का काम 1000 करोड़ का बताया गया। यह 'गोल्ड प्लेटिंग' केवल फिजूलखर्ची नहीं थी, यह सार्वजनिक धन का योजनाबद्ध हरण था। जब लागत को दोगुना नहीं, कई गुना दिखाया जा सकता है, तो टैक्स बचाना आसान हो जाता है। इसी तरह यह काली कमाई शेल कंपनियों, मॉरिशस और केमन द्वीपों के रास्ते गोदामों में बदल दी जाती है। इन घोटालों की कोई स्पष्ट तस्वीर कभी नहीं बनती—क्योंकि उन्हें “ease of doing business” के पर्दे में छिपा दिया जाता है। अंबानी की कंपनियाँ बजट नहीं बनातीं, लेकिन हर बजट उन्हीं के लिए बनता है। वो संसद में नहीं आते, लेकिन हर नीतिगत फ़ैसले के पीछे उनकी परछाईं होती है। *2)* लूट का खनन संस्करण: बेल्लारी बंधु बेल्लारी बंधु, विशेषकर जनार्धन रेड्डी, आधुनिक भारत के खनन माफिया का बेताज बादशाह बन चुका था। इनकी भूतिया मालगाड़ियाँ रात के अंधेरे में निकलती थीं—बिना चालान, बिना अनुमति, बिना इंजन की आवाज़। ये गाड़ियाँ लौह अयस्क नहीं, संविधान की चिता ढो रही थीं। हर दिन दर्जनों गाड़ियाँ बेल्लारी से निकलती थीं और सरकार सोती नहीं थी—वह चुपचाप हिस्सा लेती थी। खनन मंत्रालय, वन विभाग, पुलिस, प्रशासन—सब कुछ इनकी मुट्ठी में था। जब जनार्धन रेड्डी हेलीकॉप्टर से बैंगलोर जाकर नाश्ता करता है, तो यह केवल एक धूर्तता नहीं, एक घोषणा होती है—कि भारत की संपत्ति अब लोकतंत्र की नहीं, कुछ गिने-चुने ठेकेदारों की हो चुकी है। *3)* लूट का नया फॉर्मूला भारत में लूट अब डकैती नहीं, नीति निर्माण से होती है। सबसे पहले नीति बनती है—NELP जैसी, जिसमें जनता को बहकाने की भाषा होती है, और कंपनियों को लूटने का रास्ता। फिर लागत को कृत्रिम रूप से बढ़ाया जाता है—गोल्ड प्लेटिंग करके। जनता की जेब से पैसा निकाला जाता है, और मुनाफा छिपाकर टैक्स से बचा लिया जाता है। फिर विदेशों में शेल कंपनियों के ज़रिए धन को 'साफ' किया जाता है। और अंत में—मीडिया को विज्ञापन और सरकार को चंदा देकर सब कुछ “कानूनी” बना दिया जाता है। ONGC जैसी सार्वजनिक कंपनियाँ इस लूट की पहली शिकार बनीं। एक समय देश की संपत्ति मानी जाने वाली ONGC अब सबकी लुगाई बन चुकी है—जिसे जो चाहे, जैसे चाहे इस्तेमाल करता है। *4)* कौन ज़िम्मेदार है? इस लूटतंत्र का पहला बीज अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में बोया गया। उन्होंने NELP की शुरुआत की—भले ही वह उदारीकरण के नाम पर थी, लेकिन जल्द ही यह कॉर्पोरेट घरानों के लिए एक अघोषित खदान बन गई। फिर NDA सरकारों ने इस बीज को पानी, खाद, और मीडिया कवरेज देकर विशाल वटवृक्ष बना दिया। *5)* निष्कर्ष मुकेश अंबानी और बेल्लारी बंधु भारत की दो आँखों में खंजर की तरह गड़े हैं—एक चमकता है, दूसरा खनकता है। पर दोनों की धार एक जैसी है—जनता की संपत्ति पर सर्जिकल स्ट्राइक। ये लुटेरे पुराने ज़माने के डकैत नहीं हैं—ये पॉलिसी के लेखक हैं, चुनावों के फंडदाता हैं, और राष्ट्रवाद के नकली पुजारी हैं। इनके महलों की नींव में हमारे खेतों का खून है, हमारे बच्चों की भूख है, और संविधान की चुप्पी है। अगर इस लूट को लूट नहीं कहा जाएगा, तो आने वाली पीढ़ियाँ यह ज़रूर पूछेंगी— क्या भारत ने अपने सबसे बड़े चोरों को भगवान बना दिया? 🇮🇳🇮🇳🇮🇳

★ 2.69 लाख करोड़ RBI से निकाल लिया जा चुका है..लूट का जश्न मनाइए ★ संजय मल्होत्रा, गवर्नर RBI, जिसे इकोनॉमिक्स की "E" तक नहीं आती, ने काम कर दिया..इसी काम के लिए मल्होत्रा को लाया गया था.. ★★ 2.69 लाख करोड़ आज़ादी के बा'द केंद्र को RBI से मिला सब से बड़ा डिविडेंड है..या फिर RBI की सब से बड़ी लूट है? ये शर्मनाक है.. ◆ इस के पहले RBI को लूट कर क्या किया गया था? ~ 1.75 लाख करोड़ 2019 में निकाल कर उद्योगपतियों का टैक्स मा'फ़ किया गया था ~ 2.10 लाख करोड़ 2024 में निकाल कर केंद्र के घाटे में एडजस्ट कर दिया..ऐसा बताया गया था..असलियत से कोई वाक़िफ़ नहीं है ~ 2.69 लाख करोड़ 2025 या'नि इस साल निकाल लिया..किस की जेब में जाएगा, कौन मिठाई खाएगा, कौन जाने? ◆ अगर मैं एक इकोनॉमिस्ट के नज़रिए से RBI के पैसे का इस्ते'माल देखूं तो ना तो मुझे ~ कैपिटल एक्सपेंडिचर नहीं दिखता है ~ नाही एसेट बनते दिखते हैं ~ इनवेस्टमेंट भी नहीं दिखता है ~ नाही जनता के लिए कोई ख़र्च दिखता है ◆ किस रास्ते से किस उद्योगपति, किस दलाल, किस नेता को कितने पैसे मिलते हैं ये कोई नहीं बता सकता ◆ पर RBI लूट कर, GST से, बैंकों के प्रॉफिट से जो पैसा आता है उस के बावजूद भारत का क़र्ज़ बढ़ता जाता है, महंगाई अर्श पर होती है और नौकरियों का तो कोई सवाल ही नहीं है ✋ जिस रोज़ संजय मल्होत्रा RBI गवर्नर बना था, उसी रोज़ मैंने लिखा था कि मल्होत्रा ने कभी इकोनॉमिक्स नहीं पढ़ी है..और इसे जो बोला जाएगा ये वही काम करेगा 👉 कांग्रेस के बनाए भारत का ज़र्रा ज़र्रा लूट रहा है..और मुझ जैसे लाखों लोग देख रहे हैं और बता भी रहे हैं.."मौत के शहर" में ज़िंदगी तलाशने का काम जारी रहेगा कृष्णन अय्यर

*भारतीय मीडिया जो सवाल नहीं पूछ पा रहा है, वह सवाल एक डच पत्रकार ने पूछा* नीदरलैंड के पत्रकार - 'क्या आपने पहलगाम हमले के आतंकवादियों को पकड़ा?' जयशंकर - 'हम उन्हें पहचानने में सफल रहे' पहलगाम आतंकवादी हमले को आज एक महीना बीत चुका है। पीएम मोदी ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का जश्न मना रहे हैं, जबकि वास्तव में वे 4 आतंकवादियों को पकड़ नहीं पाए हैं। वे पूरी स्थिति का राजनीतिकरण कर रहे हैं और देश को क्रूर तरीके से गुमराह कर रहे हैं। यह केवल चुनावों के बारे में है और निर्दोष लोगों और देश की शांति की कीमत पर उन्हें जीतना है। 🇮🇳🇮🇳🇮🇳

26 नवंबर 2008 की रात को मुंबई में आतंकवादी हमला हुआ 27 की सुबह NSG ने आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन शुरू किया 28 नवंबर को मोदी होटल ओबेरॉय के बाहर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने पहुंच गए, इस होटल में भी हमला हुआ था ध्यान रहे कि अभी ऑपरेशन चल रहा था जो 29 नवंबर की सुबह तक चला। आज पहलगाम हमले के एक महीने बाद भी सवाल पूछने को भाजपाई "देशद्रोह" बता रहे हैं। ये है इनकी राजनीति!

पहलगाम में मारे गए लोगों के परिवार से मिले ? नहीं मिले। ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए जवानों के परिवार से मिले? नहीं मिले। पहलगाम में और ऑपरेशन में मारे गए जवानों के प्रति सहानुभूति जताई? नहीं जताई। पहलगाम और ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए जवानों को श्रद्धांजलि दी? नहीं दी! इतने बड़े कांड के बाद संसद का सत्र बुलाया? विपक्ष की मांग के बाद भी नहीं बुलाया। पहलगाम में मारे गए सेना अधिकारी की बीबी को ट्रॉल करने वालों को कोई संदेश दिया? उस लड़की को समर्थन दिया? नहीं दिया? सेना की कार्यवाही के बाद कर्नल कुरैशी की सरेआम बेइज्जती करने वाले अपने मंत्री विजय शाह पर कोई कार्यवाही की? नहीं की। सेना को गुलाम बताने वाले MP के डिप्टी CM पर कोई कार्यवाही की? नहीं की! पहलगाम में आए आतंकियों को पकड़ा? नहीं पकड़ा। सुरक्षा एजेंसियां से हुई इस भयानक चूक को लेकर किसी को सजा दी गई? नहीं दी गई। और इस बेलिहाज को ऑपरेशन सिंदूर के नाम से वोटों की भीख मांग कर बिहार चुनाव के लिए वोटों की भूख मिटानी है। 😡

*पहलगाम हमले का बदला कब लेंगे मोदी...ऑपरेशन सिंदूर के नाम पर मोदी और BJP का बेशर्म प्रचार क्यों* 👉आज 1 महीने से ज्यादा हो गए पहलगाम आतंकी हमले के.....मगर आज तक इस हमले के एक भी दोषी को जिंदा या मुर्दा ये सरकार नहीं पकड़ पाई है। आज 1 महीने बाद भी पहलगाम सहित पूरे कश्मीर घाटी में दहशत का माहौल है। *आतंकवादी जम्मू-कश्मीर में खुलेआम बेखौफ घूम रहे हैं और सरकार के मंत्री-नेता विदेश घूम कर फर्जी माहौल बना रहे हैं।* देश का प्रधानमंत्री नीचता और निर्लज्जता की सारी सीमा पार कर ऑपरेशन सिंदूर के नाम पर चुनावी रैलियां कर रहा है। शौर्य और शहादत सेना की, मगर PR मोदी का हो रहा है। आखिर 27 बेटियों के सिंदूर उजड़ने की शाबाशी क्यों चाहिए मोदी को ? *अगर हम ये सवाल पूछे कि आपरेशन सिंदूर से क्या हासिल हुआ तो इसका जवाब है- कुछ नहीं....क्योंकि न आतंकवादी सुधरें, न आतंकी घटनाएं कम हुई। न ही हम पहलगाम का बदला ले पाए, हम एक के बदले 10 सिर लाने की बात करते थे, मगर एक के बदले एक सिर भी नहीं ला पाए।* ➡️पुलवामा के बाद पहलगाम के शहीदों के नाम पर वोट मांगने वाले मोदी को न जवानों के जान की कोई फिक्र है, न ही नागरिकों की। इन्हें तो सिर्फ सेना की वर्दी पहनकर फोटो खिंचवाना है, वोट मांगना है। यही कारण है कि आतंक खत्म होने की बजाय तेज रफ्तार से बढ़ता जा रहा है। सरकार की नाकामियों की कीमत देश के बेकसूर लोग अपनी जान देकर चुका रहे हैं। 👉आज भी हर रोज कश्मीर घाटी से आतंकी घटनाओं की खबरें आ रही हैं, हमारे जवानों को अपनी शहादत देनी पड़ रही है। ऐसा लग रहा है कि जब तक BJP और मोदी है, तब तक देश पर खतरा बना रहेगा। इस सरकार और प्रधानमंत्री को सिर्फ सेना के नाम की क्रेडिट खानी है, जनता को बेवकूफ बनाना है। 👉आतंकवाद को खत्म करने के नाम पर बड़ी-बड़ी बातें करने वाले प्रधानमंत्री से देश बिल्कुल नहीं संभल रहा है। देश की सीमा में घुसकर आतंकी भारत के लोगों को मारकर आसानी से निकल जा रहे हैं, और मोदी- अमित शाह को चुनावी रैलियों से फुर्सत ही नहीं है। ➡️मोदी ने आतंकवादियों की कमर तोड़ने के नाम पर नोटबंदी की। मोदी ने आतंकवाद को खत्म करने के नाम पर कश्मीर से 370 हटाया गया। मगर कोई हल नहीं निकला। J&K में आतंकवाद ट्यूमर से कैंसर की शक्ल ले चुका है। ➡️अगर आंकड़ों की बात करें तो मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में रियासी से लेकर पहलगाम तक करीब 11 महीने के भीतर 50 से अधिक बड़ी आतंकी घटनाएं हुई हैं। इन घटनाओं में 45 जवानों की शहादत हुई है, जबकि 60 से अधिक जवान घायल हुए हैं। इसके अलावा 39 नागरिकों की मौत हुई है, जबकि 60 नागरिक घायल हुए हैं। *आप लिखकर ले लीजिए...आतंकवाद को खत्म करना इस डरपोक प्रधानमंत्री और इस निकम्मी सरकार के बूते की बात नहीं है। ये सिर्फ नेहरू जी को गाली दे सकते हैं, मंचो से बड़े-बड़े जुमले फेंक सकते हैं...असलियत में इस क्रेडिटखोर,बेशर्म और कायर के बस का कुछ नहीं है।*